*”परिवार”*
“परिवार”
परिवार की धुरी माता पिता भाई बहन सगे संबंधियों से रिश्ता नाता।
तिनका तिनका जोड़ ताना बाना बुनकर आशियाना बनाता।
संस्कार संस्कृति सभ्यताओं से जुड़े मान्यताओं को जगाता।
जीवन के उतार चढ़ाव संघर्षो से जूझते हुए कर्त्तव्य पालन करता।
आज कल और आने वाले कल भविष्य की चिंता में उम्मीद जताता।
पिता आदर्श सलाहकार माँ की ममता की छाँव तले जीने की कला सीखता जाता।
बचपन बीता जवानी आई फिर बुढ़ापे की लाठी बन जाता।
दुख दर्द एक दूसरे को सहारा दे पीढ़ी दर पीढ़ी यही दोहराता।
बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद भरा हाथ हर मुसीबतों से हमें बचाता।
शान शौकत बेशुमार धन दौलत से खुशनसीब नही बन पाता।
प्रेम अपनत्व चंद लम्हों की चेहरों की खुशी से खुशनसीब हो जाता।
अपने अपनों को मान सम्मान इज्जत दे सुख समृद्धि खुशहाली जीवन बिताता।
इंसान परिवार का नहीं परिवार आदमी का अभिन्न हिस्सा बन जाता।
पूरे ब्रह्याण्ड में छोटा सा परिवार खुद से पहले परिवार को ही सामने रखता।
हम परिवार से जुड़कर ही पूरे विश्व जगत सृष्टि का रचयिता कहलाता।
अंतर्राष्ट्रीयपरिवार दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
सभी परिवार स्वस्थ रहे सुखी रहे निरोगी काया रहे।?
शशिकला व्यास✍️