*परिवार: नौ दोहे*
परिवार: नौ दोहे
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1)
कभी हुए थे हर जगह, नगर-गॉंव परिवार
तीन पीढ़ियों ने किया, रहकर संग विचार
2)
अपने स्वार्थों से बढ़ें, विस्तृत करें विचार
दिल रखिए इतना बड़ा, वसुधा ही परिवार
3)
प्रेम-दया से भर लिया, जिसने हृदयागार
समझो उसका हो गया, सारा जग परिवार
4)
आते खाली हाथ हैं, जाते खाली हाथ
पत्नी-पति छूटे सभी, दो दिन सबका साथ
5)
मेरा-मेरा ने किया, सबका बंटाधार
स्वर्ग गया किसके भला, कहो साथ परिवार
6)
किसको किसकी वेदना, किसको किससे प्यार
वैसे राशन कार्ड में, लिखा एक परिवार
7)
दुख में हिस्सा लें सभी, सुखमय हो व्यवहार
एक डगर पर सब चलें, तब सच्चा परिवार
8)
पत्नी पति बेटा बहू, ढाई का परिवार
उन में भी सौ युद्ध हैं, सबके अलग विचार
9)
सुख-दुख में साझा नहीं, स्वार्थों की भरमार
कहने-भर को रह गया, शब्द एक परिवार
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451