“परिवार एक सुखद यात्रा”
सुखी जीवन का एक आधार है परिवार,
कई रिश्तों से मिलकर बनता है परिवार।
ममता इसकी नींव है ,अमर प्रेम की है गाथा।
विश्वास इसकी दहलीज़ है, एकता शक्ति से है नाता।
जहां भावों की कदर होती है,
खुशियां गतिशील रहती हैं।
मुसीबत आये एक पर पूरा परिवार साथ होता है,
हर एक के नसीब में परिवार नही होता है।
सच्चे एहसास का मंदिर है यहाँ,
दुखों ,जरूरतों की परख है यहाँ।
खुशी की लहरें सदा बहती हैं यहां,
दुख झाग बनकर किनारे होता है।
परिवार प्यास में गंगा यमुना की धार बनते हैं,
बीच भंवर में नाव फसे तो पतवार बना करते हैं।
सास श्वसुर होते हैं घर के आधार,
जेठ घर के होते हैं खेवनहार।
जिठानी, देवरानी सहयोग सदा करती हैं,
बहन जैसे साथ खड़ी रहती हैं।
ननद और देवर से होता है मनुहार,
पति से सजा रहता है मेरा घर, द्वार।
बच्चों से घर ,आँगन गूंजता है,
प्रेम रहे घर मे तो खुशहाली भर जाता है।
नाजुक डोरी रिश्तों की मांगे बस थोड़ा प्यार,
अहम छोड़कर झुक जाओ बना रहेगा परिवार।
साथ अगर हो अपनों का,
भर जाए खुशियों का अम्बार।
शस्त्रों से मानव बन जाये भले सिकन्दर,
जीवन मे खुशियों का खजाना है परिवार के अंदर।
बहू जहाँ बेटी बन जाये देतीं है घर को आकार,
घर की लक्ष्मी बनकर कर देती घर को साकार।
करें कामना ऐसी हम बिखरे ना कोई परिवार,
मिलजुल कर साथ रहें हो जाये हर दिन त्योहार।
प्रेम भरे परिवार में स्वयं ब्रह्मा भी आके झूमते हैं,
जिनके घर को मंदिर समझ कर देवगण भी चूमते हैं।
अपनेपन की बगिया हो,फले फूले परिवार,
जीवन भर की पूंजी है प्रेम से भरा हुआ परिवार।
बड़ा ही मजबूत खून का रिश्ता होता है,
जो हर किसी के नसीब में नही लिखा होता है।
बडों के आशीर्वाद से मिलती सुख शान्ति अपार,
पास रहें या दूर रहें सबकी जरुरत है परिवार।।
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव।
प्रयागराज✍️