परिवर्तन
युग अमावस का हुआ है चाँद उगना चाहिए।
बदलाव धीमे से ही सही पाँव धरना चाहिए ।
थामे हुए शमशीर देखो लोग हैं सवालों की
जबकि पास सबको ही, जवाब रखना चाहिए ।
खूं से लिपटी है ज़मीं जो किसी के नाम थी
चंद ग़ज़ दरकार सबको, हिसाब लिखना चाहिए ।
है तिमिर गहरा बहुत विभावरी भी दूर है
सूरज आसमां का है उर में, जमाल बहना चाहिए ।
ओढ़ चादर भूख की टटोलते हैं कौर जूठे
मासूम आँखों में कोई, ख़्वाब बुनना चाहिए ।
लौह पुरुष पैदा हुए अब पुरुष हैं लौह हुए
इतिहास नाम उकेर लेगा, मिसाल बनना चाहिए ।
प्रार्थना के लिए जुड़ें या दुआओं को उठें
काशी काबा से पहले मन में, भगवान रहना चाहिए ।
बाट क्यों एक कृष्ण की हम सभी हैं जोह रहे
हम सारथी हमीं हैं अर्जुन, कमाल करना चाहिए ।