परिवर्तन संसार का नियम है
जिसे तुम मृत्यु समझते हो , वही तो जीवन है । एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो , दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो । मेरा – तेरा , छोटा – बड़ा , अपना – पराया , मन से मिटा दो , फिर सब तुम्हारा है , तुम सबके हो
अपने ही कामों में अपने आपको पूरी तरह से आत्मार्पित कर दो । जिस काम को तुम उचित समझते हो , उसे खुलकर तो करो , जमकर तो करो । भक्ति हो , साधना हो , सेवा हो , तप हो , तपस्या हो , दोस्ती हो , गृहस्थी हो , प्रेम हो जो भी करो पूरी तन्मयता से करो ।
काम में ढूंढें खुशी ‘ जब तुम अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब तुम पूर्णता प्राप्त कर लेते हो
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