परिवर्तन की राह पकड़ो ।
आज अपना विषय बदलता हूंँ,
आओ किसी नई जगह पर चलता हूंँ,
जहांँ सारे बंधन से मुक्त हो जाऊंँ,
अंदर से शरीर की आत्मा तृप्त हो जाए,
करू कोई नई साधना सिद्ध हो जाए,
वर्षों के तप में व्यर्थ ही झुलसा हूंँ ।…(१)
क्यों ना अपना समय बदल जाए ,
ठहरे हुए हर लम्हों से मिलता हूंँ ,
टूटे हुए हर रिश्तों से जुड़ता हूंँ ,
टेढी-मेंढ़ी गलियों को छोड़कर ,
सीधा-सा एक पथ पकड़ता हूंँ ,
सत्य के लिए बस सत्य ही कहता हूंँ ।..(२)
आओ अपनी दिशा बदल लूँ ,
देखने की नजर भी सम्भल जाए ,
जीने की शायद कोई वजह मिल जाए ,
यादों के नए फसाने तो जुड़ जाए ,
बिछड़े हुए कुछ अपने भी मिल जाए ,
उनके लिए कुछ दूर और बढ़ चलता हूंँ ।…(३)
बदलते हुए इस संसार में ,
परिवर्तन का अर्थ अब समझ जाओ ,
जीवन में बढ़ने की चाह है अगर ,
कहीं किसी मोड़ पर परिवर्तन को अपनाओ ,
एक कदम साथ में अब भी ढल जाओ ,
ठहरे हुए रहोगे तो विकास में ह्रास पाओगे ।…(४)
✍🏼
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।