परिमल पंचपदी— नवीन विधा*
परिमल पंचपदी— नवीन विधा
25/07/2024
(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।
अस्थाई।
मुहिम चलायी।
सरकार को निहारते।
कब होगी सुनवाई पता नहीं,
इंकलाब जिंदाबाद अब भी पुकारते।।
(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।
अन्यायी।
बनते आसामी।
जानते नमकहरामी।।
क्रूरता चलन में गणितबाज,
जिसने शोषण किया वही है आज नामी।।
(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।
कंगाली
कुंडली में बैठी,
गाती रोज नयी कव्वाली।
खयाली पुलाव सभी बिगड़ते,
कब मेहरबान होगी ये किस्मत साली।।
(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।
आसामी
चक्रवृद्धि पर
इतराते आँख दिखाते
लेनदार गिडगिडाता बेबस
आमदनी चवन्नी आवश्यकता अनंत।
— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय