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10 Aug 2024 · 1 min read

*परिमल पंचपदी— नवीन विधा*

परिमल पंचपदी— नवीन विधा
10/08/2024

(1) — प्रथम, द्वितीय पद तथा तृतीय, पंचम पद पर समतुकांत।

उजाला।
कौन देने वाला।
अपने दीये को जलाओ।
यहाँ तो सबको अपनी पड़ी है,
तेल बाती अपने परिश्रम से बनाओ।।

(2)– द्वितीय, तृतीय पद तथा प्रथम, पंचम पद पर तुकांत।

दुशाला।
कढ़ाई करती।
ममता के रंग भरती।।
आने वाले नये संतान के हित,
माँ रोज बचा के रखती है कुछ निवाला।।

(3)— प्रथम, तृतीय एवं पंचम पद पर समतुकांत।

सँभाला।
आपने मुझको,
बना ही डाला मुझे आला।।
ये आपकी भलमनसाहत है,
मेरे नाम कर दी है अपनी मधुशाला।।

(4)—- संपूर्ण पंच पद अतुकांत।

दिवाला
घोषित हुआ हूँ
अपने हुए हैं पराये
पराये ने कँधे पर हाथ रखी
मैं हूँ न इतनी जल्दी हिम्मत मत हारो।

— डॉ रामनाथ साहू ‘ननकी’
छंदाचार्य, बिलासा छंद महालय

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