*परिभाषाएँ*
प्रेम —
एक छलावा है,
स्व अहं की पुष्टि है,
समर्पण का दिखावा है ।
भावना —
एक सुसुप्त सहचरी है,
भौतिकता के निष्ठुर प्रहार से
सहमी है, डरी-डरी है ।
विश्वास —
पत्थर पर टिका एक आइना है,
ज़रा-सी तेज़ हवा में
जिसकी नियति ही टूटना है ।
रिश्ता —
कच्चे धागे से बना मोतियों का हार है,
जाने कब एक झटका लगे
और वह तार-तार है ।
दोस्ती —
अपेक्षाओं की एक ऊँची दीवार है,
इसमें ख़ुशी और संतुष्टि है तो
मगर उस पार है ।
©पल्लवी मिश्रा