परिन्दे जमीन पर
आसमान से उतरकर
परिन्दे आज जमीन पर
बैठे हैं
मेरे कमरे के बाहर
बरामदे के
फर्श पर
बैठे हैं
मुझसे मिलने मेरे घर आये हैं
हम एक दूसरे की भाषा नहीं
समझते पर
मेरा दिल टटोलने आये हैं
मुझे कुछ राहत के पलों की
सौगात देने आये हैं
मेरे लिए किसी अंजानी राह की
फिजाओं की खुशबुयें चुराकर
लाये हैं
यह मेरे लिए
अंजान हैं
मैं इनके लिए
एक अजनबी लेकिन
मेरा इनसे दिल जुड़ रहा
मन चहक रहा तो
फिर कहां हैं यह अजनबी
कुछ देर मेरे पास ठहरकर
यह अपने देश लौट जायेंगे
अपना कोई पता भी नहीं
बतायेंगे लेकिन
क्या पता
कल फिर मुझसे मिलने
आसमान से मेरे घर की
जमीन पर तो नहीं उतर
आयेंगे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001