परित्यक्त अपने को सक्षम करें।
परित्यक्त होना बेचारी हैं । परित्यक्तता जीवन जो निबाहें वो नारी है।
नही तो बड़ी बदलचन है ।
ये बोझ कलंक बड़ी भारी हैं। परित्यक्त कहती हैं कि क्या स्वीकार करूं, क्या अस्वीकार करूं। सूनी हैं हर उमंग मेरी, आंसू भरा जीवन। अनुभव कहती हैं, जीवन जीएं बिना, यूं ना जाया करों । अपने हलाते गम , हमें भी समझाया करो। यूं नादान है प्राय:,कर्म से ही महान हैं प्रायः यहां सभी। अपने कर्म पर जोर दिया करें। व्यर्थ की बातें ना सुने, यहां कौन अपना है। हर सांस में अकेलापन, मौत भी अकेले।टूटती हुई कि भी होनी चाहिए,आखिरी मंजिल जिंदगी। जिंदगी अनमोल है, इसे व्यर्थ नहीं गंवाये,अपने को सक्षम बनाएं।