परिणाम से पहले
परिणाम से पहले
पंखों से पहले आकाश ,
कदमों से पहले धरती
झरनों से पहले घाटियां और ,
खेतों से पहले जंगल बने ,,,
फिर ,,,,
पंखों ने उडान भरी ,
कदमों ने रासते खोजे,
झरनों को मोड़ मिले ,
जंगल हटे खेत बने ,
प्रकृति से लय मेँ,
एक मनोरम तालमेल ,,
पर एक दिन जन्म हुआ ,,,,,,,
मानव मन मेँ ‘ स्वार्थ ‘ का ,
प्रकृति के मन मेँ ‘असंतुष्टि का ,
स्वार्थ बड़ा होकर ‘शासन का फितूर ‘ बना ,
असंतुष्टि बड़ी होकर ‘ प्राकृतिक आपदा ‘,
और धीरे – धीरे
कर्म कुकर्म बनता गया ,
और ईश्वर की नियामतें ,
श्राप बनने लगीं ,,,,,
शुरू हुआ ब्रहम्मांड का ,
सबसे प्रचंड युद्ध मानव – पृथ्वी के बीच ,,,,
जंगलों की हत्या कर बनने लगीं ,
ईमारतें और कारखाने,
नदियां बांध से जकडी गईं,
पहाड़ों को काट डाला गया ,
आकाश को धीमा जहर देकर ,,,
बना ली कृतिम ऑक्सीजन,
और उसके पलट प्रहार में ,
लहरें प्रचंड सुनामी बन
दौड़ पडीं किनारे तोड़ कर ,
उगलने लगे पहाड़ भूस्खलन- ज्वालामुखी,
कांप उठी शोषित धरा
विनाशकारी भूकम्पों से ,
आकाश भीष्म पितामह सा ,
दुस्साहस के तीरों पर धराशाही
जूझ रहा है हर क्षण ,
परिन्दों के हक के लिए ,,,,
जरूरी है विराम ,
परिणाम से पहले ,,,,,
क्षमा ऊर्मिला