परिचय खुद से खुदी का हो !!
हकीकत के चित्र अध्यात्म में नहीं होते,
चरितार्थ बखान चित्रण है,
प्रार्थना जिसे कहते है,
प्रभु ये तस्वीरें कब खिंचवाई,
एक मयान दो तलवार कब है समाई,
.
अनुभूति किसी एकल से,
सबसे है मनवाई ,
रोक दिया फिर आगे नहीं बढ़ पाई,
शायद इस पर ही लिखी गई चौपाई,
माया-जाल में जा समाई,
.
हररोज़ रोज-मरहा में जा समाई,
व्यवहारिकता को तोड़ना है भाई,
इसी में है महेंद्र सबकी भलाई,
असंतुष्टता जब रुक नहीं पाई,
कौन कहे कैसे कहे संतुष्ट है मानवता,
.
महेंद्र @mahender2872