परवाह
परवाह नहीं करता मैं अपने आप की
क्यों कि मैं खाता हूं कमायी पाप की
सच भी साथ छोड़ कर जा रहा है
पाप धीरे धीरे करीब आ रहा है
परवाह नहीं करता मैं अपने आप की
क्यों कि मैं खाता हूं कमायी पाप की
सच भी साथ छोड़ कर जा रहा है
पाप धीरे धीरे करीब आ रहा है