परदेसी
———परदेसी——
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विरान हो गई जिन्ददगी
आजा वे आजा परदेसी
तुम नहीं तो छाया अंधेरा
रोशनी बन जाओ परदेसी
तुम नहीं तो तूफांं आया
कब थमेगा तुफां परदेसी
कैसे कटेगी निशा काली
रात चाँदनी करो परदेसी
जीवन में सूखा ही सूखा
बादल बन बरसो परदेसी
सावन ना सूना बीत जाए
झूले झूला जाओ परदेसी
चारों तरफ छाया है अंधेरा
उजाला बन जाओ परदेसी
जीवन में है पतझड़ छाया
बसन्त बन जाओ परदेसी
तुम बिन हुए हम बेसहारा
सहारा भध जाओ परदेसी
सुखविंद्र तुम बिन हूँ प्यासी
प्यास बुझा जाओ परदेसी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)