परछाई
परछाईं
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परछाई बन मेरे हमसफर संग साथ ही में रहा करो।
कभी जो भटकूँ राह कही मुझे राह पे तुम किया करो।
परछाई बन मेरे….
कभी बूँद बन तुम ओस सी मेरे अश्रुओं को
पिया करो।
परछाई बन मेरे….
कभी मिश्री बन के तुम सु-मधुर मेरी वाणी में भी घुला करो।
परछाई बन मेरे….
पावन तुम्ही से यें हृदय इसे और पावन किया करो।
परछाई बन मेरे….
तुम साथ मेरा दिया करो हर बाधा मेरी हरा करो।
परछाई बन मेरे…
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड़