“परछाई”
“परछाई”
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पिता के बताए मार्ग पे ही चलते हो ।
उनके हरेक संस्कार लिए दिखते हो ।
कार्यशैली हू-ब-हू पिता की ही जैसी ,
बिल्कुल पिता की परछाई दिखते हो ।
( स्वरचित एवं मौलिक )
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक :- 30 / 03 / 2022.
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