पथिक
पथिक तुम कौन देश से आये।
रहे घूमते यों ही निष्फल–
या कोई मंजिल पाये।
…………………..पथिक ….. ।
ठहरो पलभर लो विश्राम ,
थकित पगों को दो विराम।
कहो हमें मन्तव्य तुम्हारा ,
बतलाओ गन्तव्य तुम्हारा।
भूल गये तुम अपनी मंजिल या पथ विसराये।
……………………पथिक ….. ।
हो अवधूत या तुम यायावर,
अथवा किसी देश के गुप्तचर।
बने हुये हो तुम घुमन्तु,
किसी धर्म प्रचार में हो कर तत्पर।
शान्ति दूत हो किसी देश के सद्दभावना मिशन पर आये।
……………………….पथिक …।
दूत नहीं अवधूत नहीं,
नहीं यायावर नहीं गुप्तचर।
मैं हूँ वासी इसी देश का,
निःसंदेह हे बंधु प्रवर।
देख दुर्दशा प्यारे भारत की घूम रहा अकुलाये।
…………………………पथिक ….. ।
राजनीति में हो गई अनीति,
घुस बैठा परिवार वाद ।
बढ़ गया भ्रष्टाचार देश में,
फल-फूल रहा आतंकवाद ।
कोई आये इन भूले-भटकों को कर्तव्यों का बोध कराये।
………………………….पथिक ….. ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा