पथिक मैं तेरे पीछे आता…
पथिक मैं तेरे पीछे आता…
~~°~~°~~°
पथिक मैं तेरे पीछे आता…
सूनी सी इन अंखियों में मेरे ,
तेरा मोहक छवि बस जाता ।
वंदन करता मन से तुझको
मैं अपना शीश झुकाता।
खामोश लबों के राज बताकर,
तुझे दिल का हाल सुनाता ।
पथिक मैं तेरे पीछे आता…
सागर बनकर तू करूणा का,
हर मानव मन में समाता।
नैन नीर लिए प्रति पल जो,
तू कृपा दृष्टि दिखलाता।
सुन्दर सपनों के ताने बुनकर मैं,
गीत नया कुछ गाता।
पथिक मैं तेरे पीछे आता…
स्वर्णिम मद्धिम रश्मि तेरा जब,
हौले से मन में समाता।
मन हर्षित पुलकित हो होकर,
तुझ पर जान लुटाता।
सुप्त चेतनाओं को जगाकर,
मैं भी बुद्ध कहलाता।
पथिक मैं तेरे पीछे आता…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि –१०/१०/२०२२
कार्तिक,कृष्ण पक्ष ,प्रतिपदा, सोमवार
विक्रम संवत २०७९
मोबाइल न. – 8757227201
ई-मेल – mk65ktr@gmail.com