पत्नी की जय जयकार
जय जय जय पत्नी महारानी की
जय दुखधरणी और कष्टदायिनी की
सारा दिन आन्नद,मौज मस्ती उड़ावें
पति घर आगमन पर मुँह को फुलावे
चुगली निन्दा बातों में दिन को बितावें
सांय को सिर पर चुन्नी बांध बैठ जावें
जय ढोंगण और महा कलाकारनी की
जय दुखधरणी और कष्टदायिनी की
स्टार चैनल नाटकों पर आँख जमावे
तवे पर सिकती रोटी चाहे सड़ जावे
पर नाटक दृश्य अंश कुछ रह ना पावे
तुलसी के दुख में सदा स्वयं बह जावे
जय नाटककर्मी ओर भयदायिनी की
जय दुखधरणी और कष्टदायिनी की
सास ननद को सदैव खरी खोटी सुनावे
ससुर देवर के भी खूब घूटने टिकवावें
घर म़े कोई आ जावे तो मुँह को फुलावें
मायके से कोई आवे तो फूली न समावें
जय गिरगिटी और सब सुखहरणी की
जय दुखधरणी और कष्टदायिनी की
पतिदेव की खूब पत्त रही है निकालती
स्वयं ही छेड़कर खुद ही हैं छिड़ जाती
बीमारी का ढोंग कर हाथ पैर दबवाती
तन्ख्वाह मिलते ही सारी चट कर.जाती
जय सहधर्मिणी और वामंगिनी भार्या की
जय दुखहरणी और कष्टदायिनी की
जय जय जय पत्नी महारानी की
जय दुखहरणी और कष्टदायिनी की
सुखविंद्र सिंह मनसीरत