Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Mar 2022 · 1 min read

पत्थर हैं

तो आप सेक्युलर हैं
मतलब,मीठा जहर हैं ।
खैर ये कोई बात नहीं
मगर क्या रेग्युलर हैं ?
क्या आप होतें चिंतित
सबके लिए बराबर हैं ?
आप फैसला करें ,क्या
आप कानून से ऊपर हैं?
जो ज़ाहिर करतें हैं सच
आप से तो वो बेहतर हैं ।
अबे! चुप हो जा अजय
जनाब लिये हाथों में पत्थर हैं।
-अजय प्रसाद

1 Like · 296 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कर्म कांड से बचते बचाते.
कर्म कांड से बचते बचाते.
Mahender Singh
2328.पूर्णिका
2328.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कोरी आँखों के ज़र्द एहसास, आकर्षण की धुरी बन जाते हैं।
कोरी आँखों के ज़र्द एहसास, आकर्षण की धुरी बन जाते हैं।
Manisha Manjari
Tlash
Tlash
Swami Ganganiya
ये कैसा घर है. . .
ये कैसा घर है. . .
sushil sarna
राम संस्कार हैं, राम संस्कृति हैं, राम सदाचार की प्रतिमूर्ति हैं...
राम संस्कार हैं, राम संस्कृति हैं, राम सदाचार की प्रतिमूर्ति हैं...
Anand Kumar
कहीं खूबियां में भी खामियां निकाली जाती है, वहीं कहीं  कमियो
कहीं खूबियां में भी खामियां निकाली जाती है, वहीं कहीं कमियो
Ragini Kumari
* बातें मन की *
* बातें मन की *
surenderpal vaidya
आपके पास धन इसलिए नहीं बढ़ रहा है क्योंकि आपकी व्यावसायिक पक
आपके पास धन इसलिए नहीं बढ़ रहा है क्योंकि आपकी व्यावसायिक पक
Rj Anand Prajapati
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
Lokesh Sharma
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
Sahil Ahmad
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
कवि दीपक बवेजा
"सच्चाई"
Dr. Kishan tandon kranti
//सुविचार//
//सुविचार//
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
ख्वाब सस्ते में निपट जाते हैं
ख्वाब सस्ते में निपट जाते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अटल-अवलोकन
अटल-अवलोकन
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
इंसानियत की लाश
इंसानियत की लाश
SURYA PRAKASH SHARMA
फाल्गुन वियोगिनी व्यथा
फाल्गुन वियोगिनी व्यथा
Er.Navaneet R Shandily
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बोलती आंखें🙏
बोलती आंखें🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*मुर्गा की बलि*
*मुर्गा की बलि*
Dushyant Kumar
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
Sukoon
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
*ई-रिक्शा तो हो रही, नाहक ही बदनाम (छह दोहे)*
*ई-रिक्शा तो हो रही, नाहक ही बदनाम (छह दोहे)*
Ravi Prakash
शिव-स्वरूप है मंगलकारी
शिव-स्वरूप है मंगलकारी
कवि रमेशराज
" ज़ेल नईखे सरल "
Chunnu Lal Gupta
जंगल ये जंगल
जंगल ये जंगल
Dr. Mulla Adam Ali
नौकरी
नौकरी
Rajendra Kushwaha
जीवन की धूल ..
जीवन की धूल ..
Shubham Pandey (S P)
दुकान वाली बुढ़िया
दुकान वाली बुढ़िया
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Loading...