पत्थर की नगरी
कटी है कांटों पे सोकर के हर रात फूलो की
मौसम सभी झेले वाह क्या बात फूलों की
रंग-ओ-बू सभी कुछ तो लुटाया है मगर
पत्थर की नगरी में क्या औकात फूलों की
प्रज्ञा गोयल ©®
कटी है कांटों पे सोकर के हर रात फूलो की
मौसम सभी झेले वाह क्या बात फूलों की
रंग-ओ-बू सभी कुछ तो लुटाया है मगर
पत्थर की नगरी में क्या औकात फूलों की
प्रज्ञा गोयल ©®