पत्तों की कहानी
पत्ते हवा में
उड़ रहे हैं
कभी परिंदों से तो
कभी तितलियों से
लग रहे हैं
हवाओं के कानों में
अपनी कहानी
कह रहे हैं
हवा कुछ सुन नहीं रही
उड़ी चली जा रही है
पत्ते अपनी कहानी सुनाने के लिए
उसे
उसके पीछे पीछे भाग रहे हैं
जीत आखिर हवा की होती है
और पत्तों को जमीन पर
पटक लगती है
हवा की बेवफाई पर
पत्ते सिर झुकाकर
बैठे हैं
गमगीन हैं
गहरी सोच में पड़ गये हैं
अब जीना नहीं चाहते
मरना चाहते हैं
मिट्टी की तह में
समा जाना चाहते हैं
एक जगह दबकर
टिककर
सुनायेंगे उम्र भर
मिट्टी के हमराज को
अपनी दिल की कहानी
बात घर से बाहर भी
जाने का डर नहीं
कई राज खुलेंगे
न होगी अब कोई बदनामी
वफा मिली तो कितनी
मिली
मिट्टी में दफन होने के
बाद
यह कहानी तो
हवाओं के पास से
गुजरने पर
उन्हें अपने पास बुलाकर
हर हाल में सुनायेंगे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001