पति पत्नी की नोक झोंक पर हास्य व्यंग
मै सीधी सादी गैया हूं,
तुम मरखने सांड प्रिय।
मै किसी बगिया की कोयल हूं,
तुम किसी दरबार के भांड प्रिय।।
मै सुबह सुबह उठती हूं
तुम सोने मे कुंभकर्ण प्रिय।
जब हलक में जाती है चाय,
तब तुम उठते हो प्राण प्रिय।।
मै सारे दिन व्यस्त रहती हूं,
तुम गोबर के हो चौथ प्रिय।
एक जगह बैठे रहते हो तुम,
टस से मस होते नही प्राण प्रिय।।
मै बुलेट ट्रेन जापान की हूं,
तुम मिचकू खां के ठेले हो।
मै बैगलोरी सिल्क साड़ी हूं,
तुम फटे कुर्ते गाढ़े के हो।।
मैं बैंक लॉकर की बड़ी चाबी हूं,
तुम ड्रावर के छोटे से ताले प्रिय।
मै बड़े बैंक की चीफ मैनेजर हूं,
तुम तो छोटे से हो चपरासी प्रिय।।
मै मोबाईल को टच नही करती,
तुम मोबाईल में घुसे रहते हो प्रिय।
मै किसी मर्द से बात नही करती,
तुम औरतों से बाते करते हो प्रिय।
मै सोलह साल की लगती हूं,
तुम साठ साल के लगते प्रिय।
फिर भी साथ निभाती हूं मै,
कोई सौतन न लाना प्राण प्रिय।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम