पता ही नहीं चलता यार
पता ही नहीं चलता यार
कि अकेले (तन्हाई) में मैंने खुद को पाया है
कि तन्हाई ने मुझको।
पर जो भी कहों – अब बहुत सूकून-सा लगता है –
उसका होकर या खुद का होकर ।
पता नहीं।
पर कुछ इस कदर लगता है कि –
अब भीड़ मुझे आकर्षक लगती है – पर दूर से।
एक कोने से!
मेले में अब मैं खोना चाहता हूं -पहले खोता था तो रोता था – बहुत – बहुत रोता था ।
पर अब खोने कि तमन्ना है – पर खोने का डर नहीं।
ये बढ़ते उम्र की वजह से है -या घटते दोस्तों की वजह से,
पता नहीं पर , पता चलने की उम्र है –
और ये सब इसी के साथ पता
चला है – मुझे।