पता ना था के दीवान पे दर्ज़ – जज़बातों के नाम भी होते हैं
पलट कर जब पूछा
जो उन्होंने क्या लिखते हो ?
मुक्तक या छंद
कविता या गज़ल
हैरान रह गए हम
ऐसे पेंचो-ख़म और
सितमज़रीफ़ी से सवाल पर
पता ना था के दीवान पे दर्ज़
जज़बातों के नाम भी होते हैं
अतुल “कृष्ण”
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पेंचो-ख़म=टेढ़ापन
सितमज़रीफ़ी=मजाक