“पता नहीं”
“पता नहीं”
पता नहीं आखिरकार
कितनों को मिलता है
उनका अपना मूलधन
कितनों को ब्याज भी,
और कितनों का डूब जाता
भरोसे का साथ भी।
“पता नहीं”
पता नहीं आखिरकार
कितनों को मिलता है
उनका अपना मूलधन
कितनों को ब्याज भी,
और कितनों का डूब जाता
भरोसे का साथ भी।