पतवार
जब हो पतवार
ईश्वर के हाथ
तब क्यो चाहिए
किसी और का साथ
जीवन नौका चलाती पतवार
ईश्वर का विश्वास है लगातार
जिसे नहीं है भरोसा
ईश्वर के साथ का
वह डरता
पतवार के टूट का
पतवार तो एक साधन है
पार जाने का दोस्तों
मेहनत लगन है
जीवन में पार लगने का
पतवार को लोग यू ही
बदनाम करते है
कमजोर पाल से सफर
का सपना देखते है ।
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल