पतंग.
उड़ रही है मेरी पतंग
तितली की तरह
आसमान में.
नीले गगन में हवा
की लहरों में धीरे धीरे
ऊपर उड़ती है मेरी पतंग.
उड़ रही है मेरा मन भी
पतंग जैसे आसमान में.
याद आती है बचपन की
जिस दिन हम उड़ाते थे
पतंग एक साथ.
अब मैं उड़ाती हूँ
अपनी पतंग अकेले.
तू कहाँ छुप रहा है
आसमान में
क्या…देख सकता है
तुछे मेरी पतंग.
लिखा है मैं ने चिट्टी
उस पतंग में तेरे लिए
मेरी आशा निराशा
और अभिलाषा
सबकुछ लिखा है
मैं ने उसमें.
चाहती हूँ मैं भी
ऊपर आना तेरे साथ
अपनी पतंग के साथ
लेकिन कैसे आऊँगी मैं
टोरी है और किसी के
हाथों में.