*पढ़-लिख तो बेटी गई किंतु, पढ़-लिख कर भी वह हारी है (राधेश्य
पढ़-लिख तो बेटी गई किंतु, पढ़-लिख कर भी वह हारी है (राधेश्यामी छंद )
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पढ़-लिख तो बेटी गई किंतु, पढ़-लिख कर भी वह हारी है
बल का प्रयोग करता उस पर, नर अब भी अत्याचारी है
नारी की गौरव-गरिमा को, फिर से लौटाना ही होगा
नारी हो पूजित जहॉं पुनः, वह देश बनाना ही होगा
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451