पढ़े लिखे बच्चे
पढ़े लिखे बच्चे
किताबें पढ़ते पढ़ते
पढ़ लेते हैं
अपने माता-पिता के सपने
और
होमवर्क पूरा करते करते
लग जाते हैं
पूरा उन सपनों को करने
सपने कभी संकुचित नहीं होते
उनका विस्तार होता है
जैसे
बादल को कहीं से पानी लेकर
कहीं और बरसने का
अधिकार होता है
बीज का
अपनी डाल से टूट
नया अवतार होता है
अपने आंगन के बादल को
बरसता देख
अपने आंगन की पौध को
पनपता देख
गर्व से फूलते हैं
माता-पिता के सीने
और आंखो में
फिर पल जाते हैं
बच्चों के
लौटने के सपने