पटा कर लाये थे,बड़ी शिद्दत से उनको
पटा कर लाये थे,बड़ी शिद्दत से उनको |
तलाश कर रहे है,बड़ी मुद्दत से उनको ||
बेवफ़ा निकली वो,वफ़ादारी की थी हमने |
जूते का हार डाले, बड़ी इज्जत से उनको ||
भाग गयी है वो,किसी दोस्त के साथ हमारे |
रोया वही वो,जिसने मोहब्बत दी है उनको ||
नालायक है वो,जरा इज्ज़त के काबिल नहीं है |
बेइज्ज़ती की उसकी,जिसने इज्जत दी उनको ||
बेशर्म है वो इतनी,जरा भी शर्म नहीं है उनको |
निबटना ही पड़ेगा अब,बड़ी फुर्सत से उनको ||
इससे ज्याद भी क्या लिखे रस्तोगी इनले बारे में|
ऐसी बेवफाओ को,दूर से जोड़ते है हाथ उनको |
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम