Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2018 · 2 min read

पगलु जस्ट चील…

पगलु जस्ट चील…

सम्हाल के रहना भइया यहां,
यह है भारत देश,
गरीबों की कोई सुनता नही,
अमीरों की है ऐश,
विकास के नाम का यहां,
सरकार दिखाती है रील,
पगलु जस्ट चील…

जिधर देखो हर तरफ़,
राजनीति का है बाजार सजा,
एक तरफ़ तो जीवन है,
दूसरी ओर है कजा,
इतना वे हमको चूसेंगे,
जितना देंगे ढील,
पगलु जस्ट चील…

भ्रस्टाचारी तन्त्र का,
यहां है बोलबाला,
जितनी है काली कमाई,
उतना ही है हवाला,
दुकान अमीरों की खुले,
गरीबों की हो सील,
पगलु जस्ट चील…

खा चुकी है राजनीति,
मानवता का रंग,
हिन्दू-मुस्लिम के झगड़े में,
यहाँ सभी है तंग,
अच्छे दिन की आस में,
सब मरने लगे तिल-तिल,
पगलु जस्ट चील…

खो गया है गन्दी राजनीत में,
शांति और प्रेम का मंत्र,
भाईचारा देश का,
यही है लोकतंत्र,
हिन्दू-मुस्लिम भाइयो का,
कभी तो मिलेगा दिल,
पगलु जस्ट चील…

यश कीर्ति की गान अपनी,
कर रहे हैं चौकीदार,
उनको कुछ भी पता नही,
यहाँ मची है हाहाकार,
भारत देश की जनता का,
यहां दहला है दिल,
पगलु जस्ट चील…

उड़ गया है राजनीति से,
देशप्रेम का रंग,
सभी दलों में छिड़ी हुई है,
सिर्फ स्वार्थ की जंग,
सरकार की जुमलेबाजी से,
सबका मन गया है हिल,
पगलु जस्ट चील…

अमीरों की है मौज यहां,
गरीबो की है लूट,
सब जनता परेशान है,
कि किस्मत गई है फुट,
जितना का सेवा नही,
उतना आये बिल,
पगलु जस्ट चील…

डूबा के पूरी अर्थव्यवस्था,
विदेश करे प्रवास है,
विकास के नाम पर,
बनाया बस संडास है,
जनता को बेवकूफ बनाकर,
इनका चेहरा गया खिल,
पगलु जस्ट चील…

अंदर से खोखली है,
बाहर से झकास है,
चौकीदार हूँ देश का,
करते जितने का प्रयास है,
जितना भुगताया जनता को,
अब परिणाम जाएगा मिल,
पगलु जस्ट चील…

हिन्दू मुस्लिम के खबरों में,
जनता को उलझाया है
करोड़ों लूटने वालों को,
देश से भगाया है,
जनता ऐसी भड़की है,
अब दुनिया जाएगी हिल,
पगलु जस्ट चील…
पगलु जस्ट चील…

विनय कुमार करुणे

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 460 Views

You may also like these posts

फूल सूखी डाल पर  खिलते  नहीं  कचनार  के
फूल सूखी डाल पर खिलते नहीं कचनार के
Anil Mishra Prahari
हे, वंशीधर! हे, त्रिपुरारी !!
हे, वंशीधर! हे, त्रिपुरारी !!
अमित कुमार
संघर्षशीलता की दरकार है।
संघर्षशीलता की दरकार है।
Manisha Manjari
मन की चंचलता बहुत बड़ी है
मन की चंचलता बहुत बड़ी है
पूर्वार्थ
गद्य के संदर्भ में क्या छिपा है
गद्य के संदर्भ में क्या छिपा है
Shweta Soni
यादों का मेला लगता है रोज सपनो में, पर जब जब भवर होते ही आंख
यादों का मेला लगता है रोज सपनो में, पर जब जब भवर होते ही आंख
Iamalpu9492
चौपई छंद - 15 मात्रिक
चौपई छंद - 15 मात्रिक
sushil sarna
क्यों मुझको तुमसे इतना प्यार हो गया
क्यों मुझको तुमसे इतना प्यार हो गया
gurudeenverma198
गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी
Surinder blackpen
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
Vijay kumar Pandey
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
Phool gufran
स्वाभिमान सम्मान
स्वाभिमान सम्मान
RAMESH SHARMA
सच और झूठ
सच और झूठ
Neeraj Agarwal
ऋतुराज
ऋतुराज
Santosh kumar Miri
डरावनी गुड़िया
डरावनी गुड़िया
Neerja Sharma
ആരും കാത്തിരിക്കാ
ആരും കാത്തിരിക്കാ
Heera S
सोचा यही था ज़िन्दगी तुझे गुज़ारते।
सोचा यही था ज़िन्दगी तुझे गुज़ारते।
इशरत हिदायत ख़ान
3092.*पूर्णिका*
3092.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"सुननी की ललूआ के लईका"
राकेश चौरसिया
कुछ लोग चांद पर दाग लगाते हैं,
कुछ लोग चांद पर दाग लगाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"याद के जख्म"
Dr. Kishan tandon kranti
तुमसे ही दिन मेरा तुम्ही से होती रात है,
तुमसे ही दिन मेरा तुम्ही से होती रात है,
AVINASH (Avi...) MEHRA
कहमुकरी
कहमुकरी
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक दुआ
एक दुआ
Shekhar Chandra Mitra
इल्म
इल्म
Bodhisatva kastooriya
एक  एहसास  थम  गया  दिल  भी
एक एहसास थम गया दिल भी
Dr fauzia Naseem shad
सम्मान
सम्मान
Sunil Maheshwari
ख्याल........
ख्याल........
Naushaba Suriya
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
नीति प्रकाश : फारसी के प्रसिद्ध कवि शेख सादी द्वारा लिखित पुस्तक
नीति प्रकाश : फारसी के प्रसिद्ध कवि शेख सादी द्वारा लिखित पुस्तक "करीमा" का बलदेव दास चौबे द्वारा ब्रज भाषा में अनुवाद*
Ravi Prakash
Loading...