चौपई छंद – 15 मात्रिक
चौपई छंद – 15 मात्रिक
पदांत वाचिक – गा ल
समय बदलता अपनी चाल ।
काल फेंकता अपना जाल ।।
हर दिन जीवित एक सवाल ।
जीवन प्रश्नों की इक डाल ।।
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रिश्ते जैसे सूखे पात ।
बात -बात में दें आघात ।।
आँखों से बरसे बरसात ।
ढूँढे कहाँ प्यारा प्रभात ।।
सुशील सरना /