Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2023 · 2 min read

पक्षी और गर्मी

गर्मी और पक्षी
———————
एक बार फिर गर्मी कहर ढाने लगी है
हम पक्षियों को रुलाने लगी है,
दुनिया आधुनिकता के रंग में रंगी जा रही है
पेड़ पौधे जंगल कम होते जा रहे हैं
कच्चे घर, छप्पर के झोपड़े इतिहास बनते जा रहे हैं
झाड़ी झंखाड़ भी साफ होते जा रहे हैं
हमारे हर सुरक्षित ठिकाने
आधुनिकता की भेंट चढ़ते जा रहे हैं।
आज हमारे भी ठिकाने बड़ी कठिन वातावरण में हैं
भीषण गर्मी में हम भी झुलस रहे हैं,
भगवान भरोसे ही हमारे बच्चे जन्म लेकर पल रहे हैं।
ताल, तलैया,नदी नालों पर अतिक्रमण बढ़ रहे हैं
हम पक्षियों के लिए मौत के अदृश्य जाल
लगातार फैलते जा रहे हैं,
दो घूंट पानी के लिए धूप में हम झुलस रहे हैं।
अपवाद स्वरूप ही कुछ लोग हमारे लिए
अपने दरवाजे या छतों पर पानी रख रहे हैं
ऊंची ऊंची अट्टालिकाओं पर वो भी नजर नहीं आते
राम भरोसे ही हम भटकते रहते और जीते
सौभाग्य से ही अपनी प्यास बुझा पाते।
हमारे रहने के ठिकाने,खाने पीने की
प्राकृतिक व्यवस्था पर इंसानी प्रहार हो रहे हैं।
हमारे बंधु बांधवों की कई प्रजातियां लुप्त हो गई हैं,
कुछ विलुप्त होने की कगार पर हैं
हम जो बचे हैं बस किसी तरह जी रहे हैं
कल सुबह भी हम चहचहा सकेंगे
यह हमें ही यकीन नहीं है ।
पर दोष किसका दें? हमारी किस्मत ही ऐसी है
इंसान को जब खुद की फ़िक्र नहीं है
तब हमारे बारे में वो सोचेगा ये नामुमकिन है।
अब तो गर्मी हमारे प्राण लेने आती है
जो इस गर्मी में सौभाग्य से बच जाते हैं
फिर उन्हें अगली गर्मी रुलाती है,
हमारे परिवार के लोगों की मौत
गर्मी में कुछ ज्यादा ही होती है,
ये गर्मी हमारे लिए किसी डायन से कम नहीं है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक, स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 85 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*अगवा कर लिया है सूरज को बादलों ने...,*
*अगवा कर लिया है सूरज को बादलों ने...,*
AVINASH (Avi...) MEHRA
देशभक्ति
देशभक्ति
पंकज कुमार कर्ण
वसंततिलका छन्द
वसंततिलका छन्द
Neelam Sharma
"मुश्किल वक़्त और दोस्त"
Lohit Tamta
तुम नहीं बदले___
तुम नहीं बदले___
Rajesh vyas
अपने ही  में उलझती जा रही हूँ,
अपने ही में उलझती जा रही हूँ,
Davina Amar Thakral
मानवीय कर्तव्य
मानवीय कर्तव्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चुनावी मौसम
चुनावी मौसम
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
हर तरफ भीड़ है , भीड़ ही भीड़ है ,
हर तरफ भीड़ है , भीड़ ही भीड़ है ,
Neelofar Khan
"मैं आग हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
।।
।।
*प्रणय प्रभात*
अरदास
अरदास
Buddha Prakash
मंजिल
मंजिल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हमेशा तेरी याद में
हमेशा तेरी याद में
Dr fauzia Naseem shad
तेरी मोहब्बत में इस क़दर दिल हारे हैं
तेरी मोहब्बत में इस क़दर दिल हारे हैं
Rekha khichi
मुफलिसो और बेकशों की शान में मेरा ईमान बोलेगा।
मुफलिसो और बेकशों की शान में मेरा ईमान बोलेगा।
Phool gufran
प्रेम के नाम पर मर मिटने वालों की बातें सुनकर हंसी आता है, स
प्रेम के नाम पर मर मिटने वालों की बातें सुनकर हंसी आता है, स
पूर्वार्थ
अगर
अगर
Shweta Soni
रावण का परामर्श
रावण का परामर्श
Dr. Harvinder Singh Bakshi
मेरा होकर मिलो
मेरा होकर मिलो
Mahetaru madhukar
** मन में यादों की बारात है **
** मन में यादों की बारात है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*पृथ्वी दिवस*
*पृथ्वी दिवस*
Madhu Shah
सवेदना
सवेदना
Harminder Kaur
"एक दीप जलाना चाहूँ"
Ekta chitrangini
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
धाराओं में वक़्त की, वक़्त भी बहता जाएगा।
धाराओं में वक़्त की, वक़्त भी बहता जाएगा।
Manisha Manjari
आगे निकल जाना
आगे निकल जाना
surenderpal vaidya
*मूलत: आध्यात्मिक व्यक्तित्व श्री जितेंद्र कमल आनंद जी*
*मूलत: आध्यात्मिक व्यक्तित्व श्री जितेंद्र कमल आनंद जी*
Ravi Prakash
कर्बला में जां देके
कर्बला में जां देके
shabina. Naaz
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...