पंछियों की दुनिया
मंच को नमन
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पंछियों की दुनिया
कितने प्यारे लगते पंछी,
जब आसमान में है उड़ते।
कौन देश से आए पंछी,
कौन देश को है जाते।।
हम सब समझ नहीं पाते,
कलरव करती उनकी बोलियां।
कहते हैं आपस में सब,
अपनी -अपनी कहानियां।
कौन बांटे दुःख पंछियों के,
ये कोई समझ नहीं पाता।
पंछियों को भी प्यार चाहिए,
मानव नहीं समझ पाता।।
पंछियों की दुनिया है अलबेली,
चारों और फुदक-फुदक के डोलते।
पंछी बन जाते सबकी सहेली,
मीठी -मीठी भाषा वो बोलते।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,