पंचायत चुनाव-अबकी बारी
मैं हूँ डिग्री धारी,फिर भी चुनाव लड़ने का नहीं अधिकारी!
माना मैं तीन बच्चों का बाप सही,क्या इसलिए चुनाव के योग्य नहीं!
हां मैं सवर्ण भी तो हूँ,और चुनाव में जातिवर्ण के आरक्षण का है प्रावधान!
इसलिए मुझे मिल गया है लम्बा विराम!
ऐसा सिर्फ मेरे साथ नहीं हुआ है प्रहार,
मुझसे भी योग्य हो गए हैं बाहर!
अब तो वह बनेंगे हमारे प्रधान,
जो पढ़े लिखे तो हैं सरकार के अनुसार,
पर कभी वास्ता नही रहा जन सरोकार!
हो चलें है अब वह सक्रिय,
थे जो अब तक बिल्कुल निष्क्रिय!
जिन्होंने जिया है लोगों का दुख दर्द का अहसास,
आज वह हो गए हैं पस्त,हताश और निराश!
लगता है योग्यता की चाह नहीं सरकार को,
औपचारिकता रुप से ही लक्ष्य पाने का विचार है!
जब लक्ष्य सेवा नही,सिर्फ दिखावा हो?
क्यों कोई सेवा भाव से करें काम ,
जीतना ही लक्ष्य बन गया,
और फिर है आराम ही आराम!!