पंक्ति में व्यंग कहां से लाऊं ?
पंक्ति में व्यंग कहां से लाऊं ?
जब शब्दों में ही रह जाए अभाव ।
अभाव में वह स्वभाव कहां से लाऊं ?
जब स्वभाव में है ,अज्ञानता का लेप ।
अज्ञानता में वह शब्द कहां से लाऊं ?
जब झूठ ना बोलने की है ख्वाहिश ।
ख्वाहिश में खुशी कहां से लाऊं ?
जब खुशी में ही लग जाए ग्रहण ।
ग्रहण तो निकल जाए पर वह
नया सुबह कहां से लाऊं ?
जब रात ना कटने की खाई कसम
कसम से वह कसम कहां से लाऊं ?
जब कसम ही निकला झूठा ,
बात ना कर कसम से, लिखने की
लिखने की तो है तमन्ना
अल्फाज कहां से लाऊं ?
जीवन को जीना है
पर खुशी कहां से लाऊं ?
गौतम साव