पंकज बिंदास कविता
मेरा आज मेरा कल बनाएगा
इसीलिए पढ़ो
इसीलिए गढ़ो
इसीलिए उठो
बीज सा फूटो
जर्जर हो टूटो
स्वयं से रूठो
स्वयं से पूछो
मेरा दिन आखिर कब आएगा
मेरा आज मेरा कल बनाएगा।
आग में तपो
बीज सा दबो
अन्न सा पको
बर्फ सी गलो
घड़ी सी चलो
नदी सी बहो
स्वयं से कहो
मेरा दिन आखिर कब आएगा
मेरा आज मेरा कल बनाएगा।
पंकज बिंदास