न हिन्दू,न मुस्लिम,न सिक्ख,न इसाई था वो
न हिन्दू,न मुस्लिम,न सिक्ख,न इसाई था वो
कब्रगाह में दफ़न उन शवों का भाई था वो
बहुत नज़ारे देखे थे,मज़हब की आड़ में
बड़े दूर से आए थे,इंसान नही कसाई थे वो
उम्र इसकी अभी और थी,कहकर पाछताया
शब्दों को मौन कर यम ने भी शोक जताया
कौन थे,वो दरिंदे जिन्हें इंसानियत से रुसवाई थी
एक लाश चीख चीख कर पुकार रही थी
क्या बेहरो की फौज इंसाफ की गुहार लगाने आयी थी
शांति के दूत लोकतंत्र बचाने आए थे
एक दबी हुई आवाज़ को दबाने आये थे
भूपेंद्र रावत
26।04।2020