न रोको यूँ हवाओं को…
न रोको यूँ हवाओं को,
बहती हैं, तो बहने दो,
करके रोशन दिशाओं को,
शमा जलती है, तो जलने दो ।
नहीं रह पातीं हैं यादें,
किसी की भी हर घड़ी मन में,
मीत संग प्रीति की बातें,
याद रहतीं हैं, तो रहने दो।
हमें तो आदत है उनके ही साथ,
ख्वाबों में रहने की,
ख्वाब की दास्ताँ अगर,
हकीकत बनती है, तो बनने दो।
आजकल बहुत कुछ हो रहा है,
उनके और मेरे दरमियां,
दुनिया इस बात पर एतराज
करती है, तो करने दो ।
– सुनील सुमन