न रँग मुझपे डालो
आप सभी को रंगपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
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गीत
न रँग मुझपे डालो जी भर भर गघरिया।
सुनो आज रोको न मेरी डगरिया।
रहे याद हमको सदा ऐसी होली ।
मुझे प्रेम रँग में ही रँग दो सँवरिया।।
हरा लाल पीला न भाये गुलाबी।
ये नकली रँगों में बहुत है खराबी।
जो धोएं तो छूटे न सारी उमरिया।।
मुझे प्रेम रँग में ————–
न गालों को छेड़ो ,न जुल्फों से खेलो।
जो थामी कलाई न बाँहो में लेलो
यूँ रँग के बहाने न पकड़ो कमरिया।।
मुझे प्रेम रँग में ————–
नशा भाँग का तो उतर जाए लेकिन।
मुहब्ब्त में चाहत बढ़ेगी दिनों दिन।
न मतलब जहां से न अपनी खबरिया।।
मुझे प्रेम रँग में —————
✍? श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
साईंखेड़ा