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27 May 2024 · 1 min read

न मुझको दग़ा देना

1)वीरान अंधेरे हों तुम मुझको सदा देना
हर हाल में आऊँगी आवाज़ लगा देना

2)बर्बाद मुहब्बत की हर शय को भुला देना
तडपाएं अगर यादें कुछ अश्क़ बहा देना

3)मैं तपती दुपहरी सी सावन का महीना तुम
तुम ऐसे बरसना के तन मन को भिगा देना

4)चल दूर कहीं लेकर अंजान नगर मुझको
उल्फ़त ही इबादत हो सजदा वो सिखा देना

5)ख़्वाबों में अयाँ कर दो तुम राज़-ए-मुहब्बत को
और चाॅंद सितारों से ऑंचल को सजा देना

6) ये धूप सवेरे की छन छन के जो आती है
इक नर्म तपिश देकर जोबन को खिला देना

7)तुमसे ही मुकम्मल है उल्फ़त का सफ़र जानां
मंज़िल है जहां मेरी उसका भी पता देना

8)तन्हाई में कटती हैं जो रातें हमारे बिन
ख़त जब भी लिखोगे तो सब हाल बता देना

9)आबाद जहां मेरा बस तेरी वफ़ाओं से
ख़्वाबों में भी हरगिज़ तुम न मुझको दग़ा देना

🌹मोनिका मंतशा🌹

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