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16 Nov 2024 · 1 min read

‘न पूछो’

मुश्किल था वो दौर न पूछो।
उलझन का बस ठौर न पूछो।।

हाले -दिल तो पूछ रहे हो
पूछो पर इस तौर न पूछो।

क्या-क्या गुजर रही है हम पर ,
रहने दो बस और न पूछो।

मन पर अंकित जिसकी यादें,
कैसा था वो दौर न पूछो।

बस ऑंखों में झाॅंको प्रियतम
क्यों समझा सिरमौर न पूछो।

कैसी थी हरियाली तीजें
कैसा था वो दौर? न पूछो।

उसका जीवन सिर्फ है चलना
बंजारे का ठौर न पूछो।

रश्मि ‘लहर’

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