‘न पूछो’
मुश्किल था वो दौर न पूछो।
उलझन का बस ठौर न पूछो।।
हाले -दिल तो पूछ रहे हो
पूछो पर इस तौर न पूछो।
क्या-क्या गुजर रही है हम पर ,
रहने दो बस और न पूछो।
मन पर अंकित जिसकी यादें,
कैसा था वो दौर न पूछो।
बस ऑंखों में झाॅंको प्रियतम
क्यों समझा सिरमौर न पूछो।
कैसी थी हरियाली तीजें
कैसा था वो दौर? न पूछो।
उसका जीवन सिर्फ है चलना
बंजारे का ठौर न पूछो।
रश्मि ‘लहर’