न तुमने कुछ न मैने कुछ कहा है
बहुत कुछ था जो दिल में रह गया है
न तुमने कुछ न मैने कुछ कहा है
मुकम्मल तो ये चेहरा भी रहा है
मगर रूठा हुआ क्यों आईना है
एक एहसास चुभता रहता है
जाने क्या क्या मुझे ये कहता है
राज़ खुलता है तुमको देखूं तो
दिल तड़पता है दर्द सहता है
ज़माना भी गुज़रता जा रहा है
बहुत कुछ था जो दिल में रह गया है
न तुमने कुछ न मैने कुछ कहा है
अब भी क़ायम है लब पे खामोशी
मगर लाज़िम है सब पे ख़ामोशी
कुछ न ज़ाहिर हो अब ज़माने पे
इसलिए है तलब पे ख़ामोशी
मुझे शायद मुकद्दर से गिला है
बहुत कुछ था जो दिल में रह गया है
न तुमने कुछ न मैने कुछ कहा है
इक अजब कैफियत ने दूर रखा
हमें मसरूफियत ने दूर रखा
रिश्ते नातों की बद गुमानी थी
हाए किस तरबियत ने दूर रखा
मेरा हंसना भी रोना सा लगा है
बहुत कुछ था जो दिल में रह गया है
न तुमने कुछ न मैने कुछ कहा है
दो किनारे थे हम नदी के कोई
और बहती गई जो बहती गई
आपकी हर दुआ है मेरी दुआ
आपकी हर खुशी है मेरी खुशी
हमारी पास बस इक फासला है
बहुत कुछ था जो दिल में रह गया है
न तुमने कुछ न मैने कुछ कहा है
बहुत कुछ था जो दिल में रह गया है
न तुमने कुछ न मैने कुछ कहा है