न जाने क्यों … … ???
कभी – कभी बहुत सी बातें कहनी होती हैं
पर साथी साथ नहीं होते
और कभी साथी साथ होते हैं
पर दिल में कोई बात नहीं होती
कभी – कभी बहुत से सवाल होते हैं
मगर जवाब नहीं मिलते
कभी जवाब – सवाल दोनों सामने होने पर भी
समझ जायें कुछ ऐसे हालात नहीं होते
जिन्दगी हर तरह से खूबसूरत होकर भी
न जाने इतनी उलझी हुई सी क्यों है ?
कहने को तो सब कुछ है
फिर भी कोई कमी सी क्यों है ?
न जाने एक अनकही सी
यह बेबसी क्यों है ?
हर तरफ खुशी है फिर भी
कुछ कमी सी क्यों है ?
न जाने क्यों … …???
वर्ष :- २०१३.