न छुए जा सके कबीर / मुसाफिर बैठा
कबीर के नाम पर लोगों ने
भले ही एक पंथ ही खड़ा कर डाला
पर कबीर की तरह बाजार में खड़ा होकर
सबकी खैर मांगने का माद्दा उनमें कहां आया
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर भाव बरतना भी
कबीर की राह पर चलकर
कहां हमसे आपसे हो पाया!