न कोई गिला है
******* न कोई गिला है *******
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आपके ही प्यार का सारा सिला है।
चाँद सा मुखड़ा हसीं प्यारा मिला है।
हर कदम पर साथ मेरा है निभाया,
आपसे हमको न कोई भी गिला है।
बोलकर मीठे बोल हमको है हराया,
बावरा मन खूब जड़ तक से हिला है।
रंग उड़ता ही रहा बेशक हमारा,
हारकर भी हृदय का जीता किला है।
यार मनसीरत सदा गाता तराने,
गीत सुनकर मूड फूलों सा खिला है।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)