न आसान परिभाषा तुम्हारी
दुर्गा सरस्वती और लक्ष्मी की होती
प्रतिबिंबित छवि जिसमें
वह होती है नारी।
घर परिवार की खातिर जग पर पड़े
जो अकेली ही भारी
वह होती है नारी।
जिसने निज अंतस में छिपा रखी
जग की तकलीफें सारी
वह होती है नारी।
वह जो नानी दादी है बहना है बेटी है
और जो माता है हमारी
वह होती है नारी।
जिसके कोमल उर के सम्मुख करुणा
व ममता भी है हारी
वह होती है नारी।
वह जिसने है संवारी और सजाई हर मनुज के
जीवन की हर इक क्यारी
वह होती है नारी।
अपनों पर आई जो आँच तो कर लेती है
महाविनाश की तैयारी
वह होती है नारी।
विधाता ने शुभ हाथों से सृजित की सृष्टि की
कृति जो सबसे प्यारी
वह होती है नारी।
तुम न हो अबला न निरीह न ही हो बेचारी
नहीं है सरल परिभाषा तुम्हारी
जय नारी!
जय जय जय नारी!!
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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