नज़रे (नज़्म)
है रोटी पे भूखे फ़क़ीरों कि नज़रे
है रंजिश-ओ-साज़िश मिज़ाजों कि नज़रे
सफ़ेदी पे ख़ूनी लिबासों कि नज़रे
गुमानों गुनाहों गुलामों कि नज़रे
है काले दिलो की ये काली सी नज़रे
है गूंगी है बहरी है अंधी ये नज़रे
है भूखी है नंगी है प्यासी ये नज़रे
हां हैवान रातों की रानी ये नज़रे
सताएँ हुओं की ये हारी सी नज़रे
है काले दिलो की ये काली सी नज़रे
ये बनते बिगड़ते समाजों कि नज़रे
ये लाशों कि खबरों पे चोरों कि नज़रे
छिपे आस्तीं में सपेरों कि नज़रे
रदीफ़ों से छूटी ग़ज़ालो कि नज़रे
है काले दिलो की ये काली सी नज़रे
जवानी रवानी को खूं में बहाती
भरोसे पे झूठी कटारे चलाती
चुराती छिपाती ये ख़ुद को बचाती
अनाओं से अपनी सभी को डराती
है काले दिलो की ये काली सी नज़रे
है सिक्कों कि खन-खन पे लोगों कि नज़रे
है पायल की छन-छन पे साज़ो कि नज़रे
हवस की है दामन पे चेहरों कि नज़रे
बुलाती है बेटों को माओं कि नज़रे
है काले दिलो की ये काली सी नज़रे
है प्यारी है भोली है क़ातिल ये नज़रे
ये प्यासे लबों की है साहिल ये नज़रे
न उठती न झुकती है घाइल ये नज़रे
नवाफ़िल मुक़ाबिल मसाइल ये नज़रे
मोहब्बत में जादूगरी सी ये नज़रे
मोहब्बत कि नज़रे मोहब्बत कि नज़रे
रुबाबों शराबों सबाबों की नज़रे
हसीनों कनीज़ों गुलाबों की नज़रे
रिसालों पियालों ख़यालों की नज़रे
मदीनों मज़ारों मनारों की नज़रे
मोहब्बत में जादूगरी सी ये नज़रे
है नुसरत नवाओं कि आदी ये नज़रे
मकामों मिसालों कि हादी ये नज़रे
चरागों पे आती मुनादी ये नज़रे
सुलाती फ़ज़ाओं कि वादी ये नज़रे
मोहब्बत में जादूगरी सी ये नज़रे
मोहब्बत कि नज़रे मोहब्बत कि नज़रे
मोहब्बत कि सच्ची रिवायत कि नज़रे
इबादत इनायत नज़ाकत कि नज़रे
हाँ नाज़िश में उठती शहादत कि नज़रे
ज़ेहानत कि रंगत में सरवत कि नज़रे
मोहब्बत में जादूगरी सी ये नज़रे
वो नुक्कड़ पे बैठी है बाज़ार नज़रे
जो गलियों में फिरती है दिल-दार नज़रे
है ख़ुद्दार नज़रे और फ़न-कार नज़रे
शायर की ग़ज़ल के है अशआर नज़रे
मोहब्बत में जादूगरी सी ये नज़रे
मोहब्बत कि नज़रे मोहब्बत कि नज़रे